कॉन्टैक्ट लेंस पहनने के बाद जैस्मिन भसीन की आंखों में समस्या हो गई है, जिससे उन्हें न तो ठीक से दिखाई दे रहा है और न ही वे सो पा रही हैं। जैस्मिन ने बताया कि कॉन्टैक्ट लेंस लगाने के बाद उनका कॉर्निया क्षतिग्रस्त हो गया है
टीवी एक्टर जैस्मिन भसीन को आंखों में लगाने वाले लेंस की वजह से दिखना बंद हो गया है। बताया जा रहा है कि लेंस की वजह से उनके कॉर्निया पर असर पड़ा है। जैस्मिन को देखने में दिक्कत हो रही है और सोने में भी तकलीफ हो रही है। हाल ही में वह दिल्ली के एक इवेंट में शामिल हुई थीं, जिसके लिए उन्होंने लेंस लगाए थे। जैस्मिन ने ETimes को बताया कि जैसे ही उन्होंने लेंस लगाए, उनकी आंखों में दर्द होने लगा। उन्होंने सोचा कि किसी तरह इवेंट खत्म होने का इंतजार कर लिया जाए, फिर लेंस हटा देंगी। लेकिन दर्द लगातार बढ़ता जा रहा था।
जैस्मिन कहती हैं कि एक पॉइंट के बाद आंखों में इतना दर्द होने लगा कि उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। जैस्मिन ने तुरंत आंखों के चिकित्सक को दिखाया। उन्होंने बताया कि जैस्मिन के कॉर्निया डैमेज हो चुके हैं। उसके बाद वह इलाज के लिए मुंबई चली गईं। जैस्मिन ने बताया,
“मुझे बहुत दर्द हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि अगले चार से पांच दिन में मैं रिकवर हो जाऊंगी लेकिन तब तक मुझे अपनी आंखों का बहुत ध्यान रखना पड़ेगा। यह आसान नहीं है क्योंकि मुझे कुछ नजर नहीं आ रहा, और इस दर्द की वजह से मैं सो भी नहीं पा रही हूं।”
21 जुलाई की सुबह जैस्मिन ने अपने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी शेयर की, जिसमें लिखा कि वह अब बेहतर महसूस कर रही हैं। कॉन्टैक्ट लेंस को लेकर हर तरह की बातें चलती हैं, जिनमें से बहुत सारे मिथक भी हैं। हमारी साथी गरिमा ने कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल पर मुंबई में स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा के ऑप्थल्मोलॉजिस्ट डॉ. पार्थो बख्शी से बात की थी। हमारे सवाल और डॉ. पार्थो के जवाब आप नीचे पढ़ सकते हैं।
कॉन्टैक्ट लेंस कितने घंटे लगाना चाहिए?
आप 6 से 8 घंटों तक कॉन्टैक्ट लेंस लगा सकते हैं। लेकिन जब आपने कॉन्टैक्ट लेंस लगाए हुए हैं तो गंदे हाथों से उन्हें न छुएं और आंखों को जोर से न रगड़ें।
कॉन्टैक्ट लेंस कितने तरह के होते हैं?
बाजार में अलग-अलग तरीके के कॉन्टैक्ट लेंस मौजूद हैं जैसे सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस, सिलिकॉन हाइड्रोजेल लेंस, हाइब्रिड कॉन्टैक्ट लेंस और MMA लेंस। इसके अलावा अलग-अलग डिस्पोजेबल टाइम के साथ भी कॉन्टैक्ट लेंस बाजार में मिलते हैं। डेली डिस्पोजेबल लेंस को आप एक बार इस्तेमाल के बाद बदल दें। इसके अलावा एक महीने, छह महीने और साल भर वाले कॉन्टैक्ट लेंस भी मार्केट में आपको मिल जाएंगे। अपने मन से कोई भी कॉन्टैक्ट लेंस न चुनें। डॉक्टर की सलाह लेकर ही अपने लिए लेंस का चयन करें। डॉ. बख्शी ने बताया कि डेली डिस्पोजेबल लेंस का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होता है और इससे किसी तरह के इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है।
कॉन्टैक्ट लेंस लगाते समय क्या सावधानियां बरतें?
- कॉन्टैक्ट लेंस लगाते समय अपने हाथों को अच्छे से साफ कर लें।
- कॉन्टैक्ट लेंस का सॉल्यूशन रोज़ चेंज करें। ऐसा न करने से इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ सकता है।
- जितना हो सके कॉस्मेटिक कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने से बचें।
कई लोगों की यह शिकायत होती है कि कॉन्टैक्ट लेंस लगाने पर उनकी आंखें लाल और ड्राई हो जाती हैं।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आंखों को हवा के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई मिलती है जो कॉन्टैक्ट लेंस लगाने के बाद रुक जाती है। जिसकी वजह से आंखों में ड्राइनेस और रेडनेस शुरू होती है। इसलिए अपने मन से कोई भी कॉन्टैक्ट लेंस न खरीदें। डॉक्टर को दिखाने के बाद ही कॉन्टैक्ट लेंस खरीदें और साल में एक बार आंखों का चेकअप जरूर करवाएं। कॉन्टैक्ट लेंस लगाने के बाद अगर आंख में इरिटेशन या रेडनेस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
क्या कॉन्टैक्ट लेंस के साइड इफेक्ट होते हैं?
कॉन्टैक्ट लेंस लगाने के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं लेकिन इसका गलत तरीके से इस्तेमाल करने से आंखों की तकलीफें शुरू हो सकती हैं। कभी भी कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर न सोएं, यह आंखों के लिए खतरनाक होता है। इससे इंफेक्शन का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है।