BEd धारक प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति पर बड़ा फैसला: MP स्कूल शिक्षा विभाग का आदेश
मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के अधीन लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल द्वारा BEd धारक प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश जारी किया गया है। इस आदेश के अनुसार, सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे इस आदेश का तत्काल पालन करें। अगर किसी डॉक्यूमेंट में कोई त्रुटि भी है, तो भी नियुक्ति को निरस्त किया जाए।
बीएड योग्यताधारी अब प्राथमिक शिक्षक पद के लिए अयोग्य
लोक शिक्षण संचालनालय, मध्य प्रदेश ने जिले- आगर मालवा, अलीराजपुर, अशोकनगर, छतरपुर, दमोह, डिंडोरी, गुना, कटनी, खण्डवा, मंदसौर, मुरैना, नरसिंहपुर, नीमच, निवाड़ी, पन्ना, रायसेन, रतलाम, सागर, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन, और विदिशा के जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 11 अगस्त 2023 के आधार पर BEd धारक उम्मीदवारों को प्राथमिक शिक्षक पद के लिए अयोग्य घोषित करें। सर्वोच्च न्यायालय ने NCTE की 28 जून 2018 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप BEd धारक उम्मीदवार अब प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए पात्र नहीं माने जाएंगे।
11 अगस्त के बाद की नियुक्तियां अवैध
माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने याचिका डब्ल्यूपी 13768 / 2022 एवं अन्य समरूप याचिकाओं पर 3 मई 2024 को आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया है कि 11 अगस्त 2023 के बाद नियुक्त BEd धारक प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति अवैध मानी जाएगी। 11 अगस्त 2023 से पहले नियुक्त शिक्षकों की पात्रता ही मान्य होगी।
सभी जिलों में आदेश का पालन अनिवार्य
जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे प्राथमिक शिक्षकों की व्यावसायिक योग्यता का जिले में उपलब्ध रिकार्ड से सत्यापन करें और BEd धारक प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों को तत्काल निरस्त करें। इसके अलावा, यदि किसी अभ्यर्थी की योग्यता में त्रुटिवश BEd के स्थान पर D.Ed लिखा गया है, तो उसकी भी नियुक्ति निरस्त की जाएगी। अगर 11 अगस्त 2023 के बाद कोई और BEd धारक शिक्षक नियुक्त हुआ है, तो उसकी नियुक्ति भी तत्काल निरस्त की जाए।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का बयान
इस मामले में पैरवी करने वाले अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा है कि मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग लगातार संविधान के अनुच्छेद 21-A में संरक्षित शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहा है। हजारों अभ्यर्थियों को अवैध रूप से नियुक्त किया गया है, और सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद BEd धारकों की अवैध नियुक्तियां की गई हैं। इस निर्णय से उन उम्मीदवारों का भविष्य भी खतरे में है जो D.El.Ed. योग्यताधारी हैं और इस पद के लिए सही पात्र हैं।
निष्कर्ष
MP स्कूल शिक्षा विभाग का यह फैसला BEd धारकों के लिए एक बड़ा झटका है, जबकि D.El.Ed. धारकों के लिए उम्मीद की किरण। यह आदेश सभी जिला शिक्षा अधिकारियों के लिए पालन करना अनिवार्य है और इसकी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
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