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सोलह सोमवार व्रत: कब और कैसे करें प्रारंभ, जानें पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

सोलह सोमवार व्रत: कब और कैसे करें प्रारंभ, जानें पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

सोलह सोमवार का व्रत कब और कैसे शुरू करें, इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं? यहां हम आप

 

को व्रत की पूरी विधि और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। जानिए सोलह सोमवार के व्रत की पूजा विधि और इसे कैसे शुरू करें।

 सोलह सोमवार व्रत: संपूर्ण जानकारी और महत्व

सोलह सोमवार व्रत

 

सोलह सोमवार व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत सुखद वैवाहिक जीवन और मनचाहा वर पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से संबंधित सभी जानकारी और पूजा विधि जानने के लिए पढ़ें।

 

सावन सोलह सोमवार व्रत: कैसे लाएं दांपत्य जीवन में खुशहाली और पाएं मनपसंद जीवनसाथी

सोलह सोमवार का व्रत दांपत्य जीवन में खुशहाली लाने और मनपसंद जीवनसाथी को पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत को रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इस व्रत को आरंभ किया था।

 कब से आरंभ करें सोलह सोमवार व्रत?

सोलह सोमवार व्रत का आरंभ करने के लिए श्रावण मास सबसे शुभ माना जाता है। हालांकि, यह व्रत कार्तिक और मार्गशीर्ष माह में भी आरंभ किया जा सकता है, लेकिन श्रावण मास में इस व्रत का विशेष महत्व होता है। इस साल सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई 2024 को पड़ रहा है, इस दिन से आप सोलह सोमवार व्रत शुरू कर सकते हैं।

पूजा विधि

1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा स्थान की तैयारी: घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करें और भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
3. आरती और भजन: भगवान शिव की आरती और भजन गाएं।
4. व्रत कथा: सोलह सोमवार व्रत की कथा का पाठ करें।
5. भोग और प्रसाद: भगवान शिव को भोग अर्पित करें और प्रसाद का वितरण करें।
6. प्रसाद ग्रहण: दिनभर उपवास रखें और संध्या के समय फलाहार करें।

सोलह सोमवार व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है, जिससे दांपत्य जीवन में खुशहाली और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

सावन में शुरू होने वाले सोलह सोमवार व्रत का महत्व (Sawan Solah Somvar Vrat 2024 Significance)

सोलह सोमवार का व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली हर एक समस्या समाप्त हो जाती है। इसके साथ ही, कुंवारी लड़कियों के विवाह में आ रही समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सोलह सोमवार व्रत की शुरुआत की थी। इसलिए, इस व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है, और श्रावण मास में इसे शुरू करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

व्रत के लाभ

1. वैवाहिक जीवन में सुख: सोलह सोमवार व्रत करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान होता है और जीवनसाथी के साथ रिश्ते में मिठास आती है।
2. मनचाहा जीवनसाथी: यह व्रत कुंवारी लड़कियों को मनचाहा जीवनसाथी पाने में सहायक होता है।
3. भगवान शिव की कृपा: इस व्रत को करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।

सोलह सोमवार व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाता है। इसलिए, सावन मास में सोलह सोमवार व्रत का आरंभ अवश्य करें।

 सोलह सोमवार व्रत पूजा विधि

सोलह सोमवार व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए विधिवत तरीके से किया जाता है। पूजा में निम्नलिखित सामग्री और विधि का उपयोग करें:

1. चंदन: सबसे पहले शिवलिंग पर चंदन लगाएं।
2. बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल: इन पवित्र पत्रों और फूलों को शिवलिंग पर चढ़ाएं।
3. गन्ना और गन्ने का रस: शिवलिंग पर अर्पित करें।
4. पुष्प, अष्टगंध, सफेद वस्त्र, इत्र: इन सभी सामग्रियों को विधिपूर्वक चढ़ाएं।
5. मां पार्वती की पूजा: माता पार्वती की पूजा करें और सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
6. भगवान शिव को भोग: चूरमे, खीर, बेर, नैवेद्य, मौसमी फल आदि अर्पित करें।
7. घी का दीपक और धूप: जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
8. व्रत कथा: सोलह सोमवार व्रत की कथा पढ़ें।
9. मंत्र और पाठ: महामृत्युंजय मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें।
10. अंतिम आरती: अंत में भगवान शिव की आरती करें।

भोग और उपवास

व्रत के दौरान, चढ़ाए गए चूरमे के अलावा किसी अन्य चीज का सेवन न करें। यह नियम अगले 16 सोमवार तक पालन करें।

सोलह सोमवार का उद्यापन (Sawan Solah Somvar Vrat Udyapan)

शास्त्रों के अनुसार, सोलह सोमवार का उद्यापन 16 सोमवार के व्रत रखने के बाद 17वें सोमवार को किया जाता है। इस दिन निम्नलिखित कार्य करें:

1. 16 जोड़े स्त्री-पुरुष को भोजन: 16 जोड़े स्त्री-पुरुष को विधिपूर्वक भोजन कराएं।
2. चूरमा का भोग: गेहूं के आटे से चूरमा का भोग बनाकर अर्पित करें।

इस प्रकार, सोलह सोमवार व्रत को विधिपूर्वक करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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